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Showing posts from July, 2013

सरस्वती पूजा

सरस्वती पूजा   सरस्वती पूजा प्रतिवर्ष बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है। यह पूजा माँ सरस्वती जिन्हें विद्या की देवी माना जाता है के सम्मान में आयोजित किया जाता है। भारत के कुछ क्षेत्रों में इसे बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। माँ सरस्वती को विद्यादायिनी एवं हंसवाहिनी कहा जाता है।     सरस्वती पूजा के आयोजन के ख्याल से ही छात्र-छात्राओं में जोश का संचार हो जाता है। प्रत्येक शिक्षण-संस्थानों में विद्यार्थियों द्वारा पूरी तन्मयता के साथ सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है। बड़े-बूढ़े भी बच्चों को पूरा सहयोग देते हैं। छात्रों द्वारा अपने समूहों से तथा कुछ परिचितों से चंदा भी एकत्रित किया जाता है। छात्रगण पूजा के कुछ दिनों पूर्व से ही साज-सज्जा के कार्यों में संलग्न हो जाते हैं।     पूजा के दिन छात्र-छात्राएँ प्रातःकालीन तैयार होकर पूजा पंडालों अथवा पूजन स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं । माँ सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की जाती है। बच्चे अपनी पुस्तकें भी प्रतिमा के सन्मुख रखते हैं। तत्पश्चात् विधिवत् पूजन कार्य सम्पन्न कराया जाता है। लोग पुष्पांजली देते हैं और पूजा के ब

प्रदूषण की समस्या

                                                     प्रदूषण की समस्या   मनुष्य के उत्तम स्वास्थ्य के लिए वातावरण का शुद्ध होना परम आवश्यक होता है। जब से व्यक्ति ने प्रकृति पर विजय पाने का अभियान शुरु किया है , तभी से मानव प्रकृति के प्राकृतिक सुखों से हाथ धो रहा है। मानव ने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ दिया है , जिससे अस्वास्थ्यकारी परिस्थितियाँ जन्म ले रही हैं। पर्यावरण में निहित एक या अधिक तत्वों की मात्रा अपने निश्चित अनुपात से बढ़ने लगती हैं , तो परिवर्तन होना आरंभ हो जाता है। पर्यावरण में होने वाले इस घातक परिवर्तन को ही प्रदूषण की संज्ञा दी जाती है। यद्यपि प्रदूषण के विभिन्न रुप हो सकते हैं , तथापि इनमें वायु - प्रदूषण , जल - प्रदूषण , भूमि प्रदूषण तथा ध्वनि - प्रदूषण मुख्य हैं। ' वायु - प्रदूषण ' का सबसे बड़ा कारण वाहनों की बढ़ती हुई संख्या है। वाहनों से उत्सर्जित हानिकारक गैसें वायु में कार्बन मोनोऑक्साइड

महंगार्इ: एक समस्या

महंगार्इ: एक समस्या     महंगार्इ आज हर किसी के मुख पर चर्चा का विषय बन चुका है। विष्व का हर देष इस से ग्रसित होता जा रहा है। भारत जैसे विकासषील देषों के लिए तो यह चिंता का विषय बनता जा रहा है।     महंगार्इ ने आम जनता का जीवन अत्यन्त दुष्कर कर दिया है। आज दैनिक उपभोग की वस्तुएं हों अथवा रिहायशी वस्तुएं, हर वस्तु की कीमत दिन-व-दिन बढ़ती और पहुंच से दूर होती जा रही है। महंगार्इ के कारण हम अपने दैनिक उपभोग की वस्तुओं में कटौती करने को विवष होते जा रहे हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक जहां साग-सबिजयां कुछ रूपयों में हो जाती थीं, आज उसके लिए लोगों को सैकड़ों रूपये चुकाने पड़ रहे हैं।     वेतनभोगियों के लिए तो यह अभिषाप की तरह है। महंगार्इ की तुलना में वेतन नहीं बढ़ने से वेतन और खर्च में सामंजस्य स्थापित नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सरकार को हस्तक्षेप करके कीमतों पर नियंत्रण रखने के दूरगामी उपाय करना चाहिए। सरकार को महंगार्इ के उन्मूलन हेतू गहन अध्ययन करना चाहिए और ऐसे उपाय करना चाहिए ताकि महंगार्इ डायन किसी को न सताए।   महंगाई  के लिए तेजी से बढ़ती जनसंख्या, सरकार द्वारा लगाए जाने व

दशहरा (दुर्गा पुजा)

दशहरा दशहरा को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार वर्षा ऋतु के अंत में संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है। नवरात्र में मूर्ति पूजा में पश्चिम बंगाल का कोई सानी नहीं है जबकि गुजरात में खेला जाने वाला डांडिया बेजोड़ है। पूरे दस दिनों तक त्योहार की धूम रहती है। लोग भक्ति में रमे रहते हैं। मां दुर्गा की विशेष आराधनाएं देखने को मिलती हैं। दशमी के दिन त्योहार की समाप्ति होती है। इस दिन को विजयादशमी कहते हैं। बुराई पर अच्छाई के प्रतीक रावण का पुतला इस दिन समूचे देश में जलाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने राक्षस रावण का वध कर माता सीता को उसकी कैद से छुड़ाया था। और सारा समाज भयमुक्त हुआ था। रावण को मारने से पूर्व राम ने दुर्गा की आराधना की थी। मां दुर्गा ने उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें विजय का वरदान दिया था।   रावण दहन आज भी बहुत धूमधाम से किया जाता है। इसके साथ ही आतिशबाजियां छोड़ी जाती हैं। दुर्गा की मूर्ति की स्थापना कर पूजा करने वाले भक्त मूर्ति-विसर्जन का कार्यक्रम भी गाजे-बाजे के साथ करते हैं। भक्तगण दशहरे में मां दुर्गा की पूजा करते हैं। कुछ लोग व्

सदाचार

सदाचार     सदाचार दो शब्दों के मेल से बना है सत + आचार अर्थात हमेशा अच्छा आचरण करना । सदाचार मानव को अन्य मानवों से श्रेष्ठ साबित करता है। सदाचार का गुण मानवों में महानता का गुण सृजित करता है। सदाचार ही वह गुण है जिसे हर व्यक्ति लोगों में देखने की इच्छा रखता है।   मानव को समस्त जीवों में श्रेष्ठतम माना जाता है, क्योंकि मानव ने अपने विवेक और सदाचार से अपनी महानता सर्वत्र साबित की है। सदाचार का गुण व्यकित में सामाजिक वातावरण तथा पारिवारिक माहौल से उत्पन्न होता है। जो व्यकित इन गुणों को आत्मसात कर पाता है, वह समाज के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणादायी होता है। हम इतिहास के पन्नों में झांक कर देखें तो पाते हैं कि जितने भी महापुरूष, कवि, लेखक तथा महान व्यकित उत्पन्न हुए सभी ने सदाचार के गुणों को आत्मसात किया और उसे अपने जीवन में अपनाया। आज भी स्वामी विवेकानन्द, महर्षि दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, अब्राहम लिंकन, कार्ल मार्क्स, मदर टेरेसा आदि को उनके सदाचारी प्रवृत्ति के कारण ही याद किया जाता है।   हमें अपने जीवन में सदाचार को पूरी गंभीरता से शामिल करना चाह

स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त)

भारत का स्वतंत्रता दिवस   स्वतंत्रता दिवस का हर देश में अत्यन्त महत्व होता है। यह वही दिन होता है जो हर गुलाम देश अपनी स्वतंत्रता के दिन को पूरे उत्सव के रूप में मनाता है। भारतवर्ष प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त के दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है। देश का ये ये राष्ट्रीय पर्व होता है, जिसे पूरे राष्ट्र में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत ने 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की दासता से मुक्ति मिली थी। यह मुक्ति उसे 190 वर्षों की गुलामी के बाद मिली थी। स्वतंत्र होने के पश्चात देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू और प्रथम राष्टपति के रूप में डा0 राजेन्द्र प्रसाद जी का चयन किया गया था। यह दिन पूरे देश में हर पर्व से बढ़कर मनाया गया था। इस दिन के बाद प्रतिवर्ष दिल्ली के लालकिला पर प्रधानमंत्री द्वारा झंडोत्तोलन का आयोजन किया जाने लगा। इस दिन सभी शिक्षण संस्थानों और कार्यालयों में अवकाश का दिन होता है। इन स्थानों पर विधिवत झंडा फहराया जाता है। छात्र-छात्राओं द्वारा आकर्षक एवं रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता है। झांकियां निकाली जाती है। मिठाइयां और चाकलेट वि

मेरा प्यारा भारतवर्ष

मेरा प्यारा भारतवर्ष मेरा भारत यह मात्र शब्द नहीं है अपितु हर हिन्दुस्तानी के दिल की आवाज़ है, हर हिन्दुस्तानी का गौरव है, उसका सम्मान है और सबसे बड़ी बात उसकी पहचान है, यह भारतवर्ष। हम इस भूमि में पैदा हुए हैं। हमारे लिए यह इतनी महत्त्वपूर्ण है जितने की हमारे माता.पिता हमारे लिए। भारत एक भू.भाग का नाम नहीं है। अपितु उस भू.भाग में बसे लोगोंए उसकी संस्कृतिए उसकी सभ्यताए उसके रीति.रिवाजोंए उसके अमूल्य इतिहास का नाम है। उसके भौतिक स्वरूप का नाम भारत है। भारत के भौगोलिक स्वरूप की बात की जाए तो यह एक विशाल देश है। इसके उत्तर में पर्वत राज हिमालय खड़ा है। तो दूसरी ओर दक्षिण में अथाह समुद्र है। पश्चिम में रेगिस्तान की मरूभूमि है तो पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। ये सब इसकी स्थिति को मजबूत व प्रभावशाली बनाए हुए हैं। भारत में जगह.जगह पहाड़ी स्थलए जंगलए हरे.भरे मैदानए रमणीय स्थलए सुन्दर समुद्र तट, देवालय आदि उसकी शोभा बढ़ा रहे हैं। जहाँ एक ओर स्वर्ग के रूप में कश्मीर है, तो दूसरी ओर सागर की सुन्दरता लिए दक्षिण भारत। यहाँ अनगिनत नदियाँ बहती हैं जो अपने स्वरूप द्वारा इसको दिव्यता प्रदान करती

खेल-कूद का महत्व

खेल-कूद का महत्व ज़िन्दगी में अक्सर खेल के महत्व को हम ध्यान नहीं देते हैं खेल में भाग लेने से सबसे पहले तो हमारे स्वास्थ्य पर उत्तम प्रभाव पड़ता है भागने से या क्रिकेट और टेनिस खेलने से हमारी सास लेने की योग्यता २ या ३ गुना बढ़ जाती है इसके अलावाए हमारे शरीर में हमारे रक्त का परिसंचरण भी सुधर जाता है खेलों में भाग लेने सेए हमारा दिमाग भी ठंडा रहता है अगर हम कभी काम से बहुत थक जाएँ या काम के बोझ से छूट न ढूंढ पाये तो फूटबाल की गेंद को लात मारकर हम अपने दिमाग के हर भाग पर फिर से काबू पा सकते हैं।  स्वस्थ रहने के अलावाए खेल में भाग लेने से हम दोस्ती और विश्वास के सहानुभूतियों को बड़ा सकते हैं अक्सर कहा जाता है की खेल से ही बन्दे का असली रूप दिख जाता है मैं इस छोटी कहावत को पूरी तरह से मानता हूँ क्योंकि मैंने अपनी आंखों से अपने ही दोस्तों को खेल के मैदान पर बदलते हुए देखा है यह शायद इसलिए होता है क्योंकि मैदान पर मुकाबले पर हर खिलाड़ी का दिमाग इतना व्यस्त रहता है की वह बिना सोचे अपने को पराया बना देता है परन्तु मैं मानता हूँ कि दिन के अंत मेंए अतिरिक्त समय एक साथ खेलने के पश्चात लो

देशप्रेम

देशप्रेम   देशप्रेम मानव में निहित ऐसी भावना है जो हमें अपने मातृभूमि के प्रति कृतज्ञ बनाती है। देशप्रेम के कारण ही किसी देश के निवासियों में अपने देष के प्रति श्रद्धा की भावना जागृत होती है। यह मानव को निज स्वार्थ से ऊपर उठकर मातृभूमि के लिए कुछ करने को प्रेरित करती है। इसी भावना से अंगीभूत होकर लोग देश की मर्यादा को कायम रखने हेतु अपने प्राण तक को न्योछावर करने में तनिक भी झिझक नहीं करते हैं।   देशप्रेम से जुड़ी असंख्य कथाएं इतिहास के पन्नों में दर्ज है। हर एक देश में उस देश के लिए मर मिटने वाले लोगों और देशप्रेम से जुड़ी घटनाएं सहज ही मिल जाएंगी। ऐसे में भारत जैसे विशाल देश में इसके असंख्य उदाहरण दृषिटगोचर होते हैं। हम अपने इतिहास के पन्नों में झांक कर देखें तो प्राचीन काल से ही अनेक वीर योद्धा हुए जिन्होंने भारतभूमि की रक्षा हेतु अपने प्राण तक को न्योछावर कर दिए। पृथ्वीराज चौहाण, महाराणा प्रताप, टीपू सुल्तान, बाजीराव, झांसी की रानी लक्ष्मीबार्इ, वीर कुंवर सिंह, नाना साहेब, तांत्या टोपे, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरू, खुदीराम बोस, सुभाषचंद्रबोस, सरदार बल्लभ भार्इ पटेल,