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हमारे ग्रह (पृथ्वी) को सबसे बड़ा खतरा हमारी इस मानसिकता से है कि कोई और इसे बचा लेगा ।

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हमारे ग्रह (पृथ्वी) को सबसे बड़ा खतरा हमारी इस मानसिकता से है कि कोई और इसे बचा लेगा ।   लगातार बढ़ते प्रदूषण और मानवीय हस्तक्षेपों ने आज पूरे विश्व के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न कर दिया है। इस संभावित खतरे के लिए हम सम्पूर्ण मानव जाति ज़िम्मेवार हैं। मानव के प्रकृति और प्राकृतिक क्षेत्र में अत्यधिक हस्तक्षेप ने पूरे विश्व का कायाकल्प कर दिया है। पूरा विश्व अपना नैसर्गिक सौंदर्य और संतुलन खोने लगा है। इस विकट परिस्थिति में आज हम मानव और देश के बुद्धिजीवी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो गए हैं और अपने ग्रह (पृथ्वी) को बचाने के प्रयासों में लग गए हैं। सबसे पहले इस बात की ओर हमें अपना ध्यान इंगित करना पड़ेगा कि आज पूरे विश्व को बचाने और संरक्षण की स्थिति क्यों उत्पन्न हो गयी ? जैसा कि हम जानते हैं कि प्रारम्भिक मानव वनों में रहता था और वनोत्पाद ग्रहण करता था। वह प्रकृति का सम्मान करता था और उसके प्रकोपों से भयभीत भी रहता था। अतः वह ऐसे प्रयासों से डरता था जिससे प्रकृति और प्राकृतिक चीजों को नुकसान पहुंचे। अतः उस समय पर्यावरण अशुद्धियों और प्रदूषण का शिकार नहीं था , लेकिन कालांत