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Showing posts from April, 2017

नरेन्द्र दामोदरदास मोदी

नरेन्द्र दामोदरदास मोदी नरेन्द्र दामोदरदास मोदी  17  सितंबर  1950  को जन्मे भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं। भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें  26  मई  2014  में विघिवत प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। वे स्वतन्त्र भारत के  15 वें प्रधानमंत्री हैं। उनके नेतृत्व में भारत के प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने  2014  का लोकसभा चुनाव लड़ा और  282  सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृह राज्य गुजरात के बड़ोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगहों से जीत हासिल की। इससे पूर्व वे गुजरात राज्य के  14 वें मुख्यमंत्री रहे। उन्हें उनके काम के कारण गुजरात की जनता ने लगातार चार बार ( 2001-2014)  मुख्यमंत्री चुना। गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त विकास पुरूष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। नरेन्द्र मोदी का जन्म तत्कालीन बम्बें राज्य के मेहशाना जिला स्थित बड़नगर ग्राम हीनाबेन मोदी और दामोदरदास मूलचन्द मोदी के एक

राष्ट्रीय एकता

राष्ट्रीय एकता हमारा भारत देश विश्व के मानचित्र पर एक विशाल देश के रूप में चित्रित है। प्राकृतिक रचना के आधार पर तो भारत के कई अलग अलग रूप और भाग हैं। उत्तरी का पर्वतीय भाग , गंगा-यमुना सहित अन्य नदियों का समतलीय भाग , दक्षिण का पठारी भाग और समुन्द्र तटीय मैदान। भारत का एक भाग दूसरे भाग से अलग थलग पड़ा हुआ है। नदियों और पर्वतों के कारण ये भाग एक दूसरे से मिल नहीं पाते हैं। इसी प्रकार से जलवायु की विभिन्नता और अलग अलग क्षेत्रों के निवासियों के जीवन आचरण के कारण भी देश का स्वरूप एक दूसरे से विभिन्न और पृथक पड़ा हुआ दिखाई देता है। इन विभिन्नताओं के होते हुए भी भारत एक है। भारतवर्ष की निर्माण सीमा ऐतिहासिक है। वह इतिहास की दृष्टि से अभिन्न है। इस विषय में हम जानते हैं कि चन्द्रगुप्त , अशोक , विक्रमादित्य और बाद मुगलों ने भी इस बात की बड़ी कोशिश थी कि किसी तरह सारा देश एक शासक के अधीन लाया जा सके। उन्हें इस कार्य में कुछ सफलता भी मिली थी। इस प्रकार के भारत की एकता ऐतिहासिक दृष्टि से एक ही सिद्ध होती है। हमारे देश की एकता एक बड़ा आधार दर्शन और साहित्य है। हमारे देश का दर्शन सभी प्रका

राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा)

राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक चिन्ह या प्रतीक होता है। जिससे उसकी पहचान बनती है। राष्ट्रीय ध्वज हर राष्ट्र के गौरव का प्रतीक होता है। ‘ तिरंगा ’ हमारा राष्ट्रीय ध्वज है। हमारा देश भारत विविध जातियों , धर्मों और संस्कृतियों को देश है। इसी प्रकार हमारा ध्वज भी भाव प्रधान है। हमारे राष्ट्र के झंडे में तीन रंग हैं इसीलिये इसे तिरंगा कहते हैं। झंडे में तीन रंगों की पट्टियाँ हैं। जिनका आकार समान है। झंडे के सबसे ऊपर केसरिया रंग है जो वीरता और शौर्य को प्रकट करता है। बीच का हिस्सा सफेद रंग हा है जो पवित्रता , त्याग भावना एवं सादगी का प्रतीक है। नीचे के भाग का हरा रंग हमारे देश की हरी भरी धरती और सम्पन्नता को दर्शाता है। ध्वज की मध्य सफेद पट्टी पर अशोक चक्र बना है। नीले रंग के अशोक चक्र में 24 लाइनें हैं। अशोक चक्र धर्म , विजय एवं प्रगति का द्योतक है। हमारी स्वतंत्रता की लड़ाई में तिरंगे की एक मुख्य भूमिका रही। 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद यह हमारा राष्ट्रीय ध्वज बना। राष्ट्रीय समारोहों एवं महत्वपूर्ण अवसरों पर एक राष्ट्रीय ध्वज फहराया ज

विद्यालय का वार्षिकोत्सव

विद्यालय का वार्षिकोत्सव विद्यालय का वार्षिकोत्सव का अर्थ है- एक साल के अंत में होने वाला उत्सव। प्रत्येक विद्यालय का वार्षिक उत्सव होता है। इस अवसर पर विशेष समारोह किए जाते हैं और इस समारोह में विद्यालय के सभी सदस्य सामान्य या प्रमुख रूप से भाग लिया करते हैं। इसलिए इस उत्सव का विशेष महत्व होता है। हर विद्यालय में वार्षिकोत्सव की तिथि भिन्न हो सकती है।   प्रत्येक विद्यालय में वार्षिकोत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव के लिए विशेष प्रबन्ध और आयोजन किए जाते हैं। इसकी तैयारियाँ महीनों पूर्व ही होने लगती हैं। इसमें सभी अध्यापक ,  छात्र ,  कर्मचारी सक्रिय रूप से भाग लिया करते हैं। प्रधानाचार्य की भूमिका बहुत बड़ी होती है। वे इस कार्य को सम्पन्न कराने के लिए पुरजोर प्रयास किया करते हैं। न केवल विद्यालय की ही तैयारी करवानें में वे लगे रहते हैं ,  अपितु इससे सम्बन्धित बाहर की भी तैयारियों में विशेष रूचि और भाव प्रकट करते हैं। कार्यक्रम में नाटक ,  कविता ,  वाद-विवाद और खेल कूद जैसे कई विषयों को शामिल किया जाता है। विद्यालय के छात्र-छात्राओं सहित शिक्षकों की भी सहभागिता रहती है और सभी

साम्प्रदायिकता

                                  साम्प्रदायिकता सम्प्रदाय का अर्थ है – विशेष रूप से देने योग्य , सामान्य रूप से नहीं अर्थात् हिन्दूमतावलम्बी के घर में जन्म लेने वाले बालक को हिन्दू धर्म की ही शिक्षा मिल सकती है , दूसरे को नहीं। इस प्रकार से साम्प्रदायिकता का अर्थ हुआ एक पन्थ , एक मत , एक धर्म या एक वाद। न केवल हमारा देश ही अपितु विश्व के अनेक देश भी साम्प्रदायिक हैं। अतः वहां भी साम्प्रदायिक हैं। अतः वहाँ भी साम्प्रदायिकता है। इस प्रकार साम्प्रदायिकता का विश्व व्यापी रूप है। इस तरह यह विश्व चर्चित और प्रभावित है। साम्प्रदायिकता के दुष्परिणाम – साम्प्रदायिकता के अर्थ आज बुरे हो गए हैं। इससे आज चारों और भेदभाव , नफरत और कटुता का जहर फैलता जा रहा है। साम्प्रदायिकता से प्रभावित व्यक्ति , समाज और राष्ट्र एक-दूसरे के प्रति असद्भावों को पहुँचाता है। धर्म और धर्म नीति जब मदान्धता को पुन लेती है। तब वहाँ साम्प्रदायिकता उत्पन्न हो जाती है। उस समय धर्म-धर्म नहीं रह जाता है वह तो काल का रूप धारण करके मानवता को ही समाप्त करने पर तुल जाता है। फिर नैतिकता , शिष्टता , उदारता , सरलता , सहदयता

हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कवि: तुलसीदास अथवा मेरा प्रिय कवि: तुलसीदास पर निबंध

हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कवि: तुलसीदास अथवा मेरा प्रिय कवि: तुलसीदास पर निबंध भारतवर्ष में समय-समय पर धर्म , विज्ञान एवं साहित्य आदि क्षेत्र में महान विद्‌वानों व साहित्यकारों ने जन्म लिया है । ये भारतीय इतिहास का गौरव रहे हैं और इन पर भारत सदैव गौरवान्वित रहेगा । जायसी , सूर , तुलसी , भारतेंदु , हरिश्चंद , दिनकर , मैथिलीशरण गुप्त , महान उपन्यासकार प्रेमचंद आदि देश के महान कवियों एवं साहित्यकारों में गिने जाते हैं । इनमें कविवर तुलसीदास मुझे सर्वश्रेष्ठ कवि लगते हैं क्योंकि भगवान श्रीराम के शील , सौंदर्य व भक्ति का जो समन्वित तथा सगुण रूप तुलसीदास ने प्रस्तुत किया है वह अद्‌वितीय है । युग-युगांतर तक उनकी यह काव्यमयी वाणी भारतभूमि पर अमृत वर्षा करती रहेगी और लोगों के धार्मिक एवं सामाजिक जीवन में नई जागृति व स्कूर्ति का संचार करती रहेगी । तुलसीदास जी भक्तिकाल की राम-भक्ति शाखा के प्रमुख कवि हैं । इनका जन्म 1532 ई॰ में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के सोरो ग्राम में हुआ था । इनकी माता का नाम हुलसी तथा पिता का नाम आत्माराम दुबे था । इनका लालन-पालन एक दासी के द्‌वारा हुआ क्योंकि अयुक्तमू