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Showing posts from May, 2017

साँच बराबर तप नहीं, न झूठ बराबर पाप ?

साँच बराबर तप नहीं, न झूठ बराबर पाप ? *********************************** यह सूक्ति निर्गुण भक्ति मार्गी कवि कबीरदास जी ने कही है कि सच्चाई से बढ़कर कोई तपस्या नहीं है। इस सूक्ति पर गम्भीरतापूर्वक विचार करना आवश्यक है कि सच्चाई के समान या सच्चाई से बढ़कर कोई तपस्या नहीं है , तो कैसे और क्यों नही है ? सबसे पहले हमें सच्चाई का स्वरूप , अर्थ और प्रभाव को समझना होगा। सच्चाई का शाब्दिक अर्थ है- सत्य का स्वरूप या सत्यता। सत्य का स्वरूप क्या है और क्या हो सकता है , यह भी विचारणीय है। सच्चाई शब्द या सच शब्द का उद्भव संस्कृत के सत शब्द में प्रत्यय लगा देने से बना है। यह सत्य शब्द संस्कृत का शब्द अस्ति के अर्थ से हैं , जिसका अर्थ क्रिया से है। अस्ति क्रिया का अर्थ होता है। इस क्रियार्थ को एक विशिष्टि अर्थ प्रदान किया गया कि जो भूत , वर्तमान और भविष्य में भी रहे या बना रहे , वही सत्य है। सत्य का स्वरूप बहुत ही विस्तृत और महान होता है। सत्य के सच्चे स्वरूप का ज्ञान हमें तब हो सकता है , जब हम असत्य का ज्ञान प्राप्त कर लें। असत्य से हमें क्या हानि होती है और असत्य हमारे लिए कितना निर्मम और

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

                          बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ  पूरे भारत में लड़कियों को शिक्षित बनाने और उन्हें बचाने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नाम से लड़कियों के लिये एक योजना की शुरुआत की। इसका आरंभ हरियाणा के पानीपत में 22 जनवरी 2015, गुरुवार को हुआ। पूरे देश में हरियाणा में लिंगानुपात 775 लड़कियाँ पर 1000 लड़कों का है जो बेटीयों की दयनीय स्थिति को दर्शाता है इसी वजह से इसकी शुरुआत हरियाणा राज्य से हुई। लड़कियों की दशा को सुधारने के लिये पूरे देश के 100 जिलों में इसे प्रभावशाली तरीके से लागू किया गया है, सबसे कम स्त्री-पुरुष अनुपात होने की वजह से हरियाणा के 12 जिलों (अंबाला, कुरुक्षेत्र, रिवारी, भिवानी, महेन्द्रगण, सोनीपत, झज्जर, रोहतक, करनाल, यमुना नगर, पानीपत और कैथाल) को चुना गया। लड़कियों की दशा को सुधारने और उन्हें महत्व देने के लिये हरियाणा सरकार 14 जनवरी को ‘बेटी की लोहड़ी’ नाम से एक कार्यक्रम मनाती है। इस योजना का उद्देश्य लड़कियों को सामाजिक और आर्थिक रुप से स्वतंत्र बनाना है जिससे वो अपने उचित अधिकार और उच्च शिक्षा का प्रयोग कर सकें। आम जन में जागर