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मेरा लक्ष्य : भ्रष्टाचार मुक्त भारत

मेरा लक्ष्य : भ्रष्टाचार मुक्त भारत भ्रष्टाचार दो शब्दों के मेल से बना है  –  भ्रष्ट और आचार। भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट आचरण। विश्व की तमाम अर्थव्यवस्थाएं भ्रष्टाचार से ग्रसित होती जा रही हैं ,  ऐसे में मेरा लक्ष्य मेरे देश भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है। इसने हमारे देश की नींव को ही खोखला कर दिया है। देश अपनी गरिमा खोने लगा है। अतः मैंने अपने जीवन में ये लक्ष्य निर्धारित किया है कि जहां तक संभव हो मैं ना तो भ्रष्टाचार करूंगा और ऐसे सभी गतिविधियों का विरोध करूंगा जहां मुझे भ्रष्टाचार दिखेगा। भारत सनातन युग से विश्वगुरु रहा है। भारतीय सभ्यता-संस्कृति ने पूरे विश्व के लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है। भारतीय लोगों की वीरता ,  सच्चाई और सभी धर्मों को खुद में समाहित करने के गुण ने इसे विश्व पटल पर अक्षुण्ण स्थान प्रदान किया है ,  परंतु आज हमारे सोच में बदलाव और भ्रष्टाचारी गतिविधियों ने हमें विश्व में शर्मशार करने में कोई कसर छोड़ा है। वैसे तो भ्रष्टाचार का पैमाना और क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है लेकिन अभी हम अपने देश के भीतर फैले भ्रष्टाचार की चर्चा करेंगे। यदि हम भ्रष्