भ्रष्टाचार : एक समस्या

भ्रष्टाचार एक समस्या


भ्रष्टाचार से तात्पर्य ऐसे आचरण से है जिसमें मनुष्य भ्रष्ट आचरण करने को प्रेरित होता है अथवा उसे प्रोत्साहित करता है। यह मानव का सहज गुण है। लोग इससे शायद ही अछुते रह पाएँ हो वे किसी न किसी रूप में दैनिक भ्रस्टाचार के अवश्य साक्षी होते हैं।

 आज पूरे विश्व का शायद ही कोई देश बचा हो जो भ्रष्टाचार से बचा हो । पूरे विश्व में भ्रष्टाचार ने अपनी पैठ बना ली है। भारत, चीन और अफ्रिकन देशो में तो यह विकराल रूप में प्रकट होती रही है। भ्रष्टाचारी स्वभाव व प्रवृत्ति का जन्म मानव में कब और कैसे हुआ, इसका अंदाजा लगाना तो संभव नहीं है लेकिन यह माना जा सकता है कि मानव की तीव्र जिज्ञासा तथा अति उत्सुकता ने इसे जन्म दिया होगा। अब प्रश्न यह उठता है कि, आखिर भ्रष्टाचार क्यों पनपता है और इसका निदान कैसे संभव है?  इसके मूल में एक ही बात है कि वैसे लोग भ्रष्टाचार के भागी बनते हैं जो अपना कार्य गलत तरीके से करवाना चाहते हैं। यह सब भारत जैसे विकासशील देशों में सरकारी कार्यालयों में सर्वाधिक दृश्टिगोचर होता है। लोगों द्वारा सरकारी कर्मचारियों तथा अफसरों को अपना काम जल्दी करवाने या गलत तरीके से करवाने हेतू उपहार अथवा पैसों की पेषकष की जाती है। ज्यादातर मामलों में तो विभागों के दलालों द्वारा विभिन्न कार्यों के लिए दर निर्धारित कर दिए जाते हैं, जिसमें नीचे से उपर तक के सभी कर्मचारियों का हिस्सा होता है।

 हमारे राष्ट्र  के नेताओं ने तो भ्रष्टाचार की नई पराकाश्ठा ही लिख दी है । चारा घोटाला, बोफोर्स मामला, तहलका कांड, कोयला आबंटन घोटाला, 2जी घोटाला आदि तो हमारे राष्ट्र के महान घोटालों में दर्ज हैं। नेताओं तथा अफसरों की मिलीभगत ने तो देशवासियों का अपार पैसा भ्रष्टाचारियों के हाथों सुपुर्द कर दिया है। स्विस बैंक, जर्मन बैंक आदि में गलत तरीके से अरबों रूपये जमा हैं। हमारे नेतागण तथा सरकार इस काले धन के खुलासे और इसके भारत आगमन से डरती है, क्योंकि इससे सैकड़ों बड़े नाम सामने आ जाएँगे। हमारी न्यायपालिका भी भ्रष्टाचार के संक्रमण से बची नहीं हैं। पैसों के बल पर कई गलत फैसले लिए दिये गए हैं।


आज भारत सहित पूरे विश्व यदि भ्रष्टाचाररूपी रोग से मुक्त कराना है तो आज के युवा पीढ़ी को आगे आना होगा। समाज में व्याप्त रोग को मिलजुल कर मिटाना होगा। हमें विद्यालयी स्तर से ही बच्चों को इससे दूर रहने को प्रेरित करना होगा और सरकार को कई कड़े कानून बनाने होंगे। इस प्रकार हम एक बेहतर कल की उम्मीद कर सकते हैं।





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