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Showing posts from January, 2014

श्री सुभाष चन्द्र बोस ‘‘एक करिश्माई व्यक्तित्व’’

श्री सुभाषचन्द्र बोस ‘‘एक करिश्माई व्यक्तित्व ’’ सुभाषचन्द्र बोस भारत के महान देशभक्त थे। भारत के स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत सेनानियों में जब भी गिनती की जाएगी, इन्हें सर्वोच्च स्थान प्राप्त होगा। अद्भुत देशप्रेम एवं निश्ठा के कारण समस्त विश्व  में आज भी इन्हें बड़े सम्मान के साथ याद किया जाता है। भारतवासियों को ब्रिटिश शासकों के खिलाफ उनकी शक्ति का अहसास सर्वप्रथम इनके ही नेतृत्व में हुआ था। सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 ई0 को उड़ीसा राज्य के कटक नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता वहाॅं के एक प्रसिद्ध वकील थे। वे बचपन से ही एक मेघावी छात्र थे। इन्होंने दर्शनशास्त्र में प्रथम श्रेणी में प्रतिष्ठा  के साथ बी0ए0 की परीक्षा उत्तीर्ण की। उच्च शिक्षा हेतु वे इंग्लैंड गए। वहाॅं उन्होंने सिविल सर्विसेस की परीक्षा योग्यतापूर्वक पास की और प्रथम स्थान प्राप्त किया। लेकिन भारत में ब्रिटिश सरकार की नीतियों से आहत होकर देशसेवा और राजनीति के लिए खुद को समर्पित कर दिया । अतः वे कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्हें कलकत्ता काॅरपोरेशन का मेयर नियुक्त किया गया। आगे जाकर उन्होंने अपन...

पराधीन सपनेहूं सुख नाहीं

        स्वाधीनता हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। इसको पाने के लिए यदि मनुष्य को लड़ना भी पड़े तो सदैव तत्पर रहना चाहिए। पराधीनता वो अभिशाप है जो मनुष्य के आचार - व्यवहार उसके परिवेश , समाज , मातृभूमि और देश को गुलाम बना देते हैं , फिर चाहे तो कैसी भी गुलामी रही हो। पिंजरे में बंद पक्षी से अधिक आजादी और स्वच्छंदता का महत्व कौन समझ सकता है ? भारत ने बहुत लंबे समय से गुलामी के शाप को सहा है। पहले वो मुगलों के अधीन रहा। उनके द्वारा उसने अनेकों अत्याचार सहे परन्तु उसकी नींव नहीं हिली। इसका मुख्य कारण था मुगल पहले आए तो लूटमार के मकसद से थे परन्तु धीरे - धीरे उन्होंने यहाँ रहना स्वीकार कर इस पर राज किया। यदि शुरु के मुगलकाल को अनदेखा कर दिया जाए तो बाकि मुस्लिम शासकों ने यहाँ की धन - संपदा का शोषण नहीं किया वो यहाँ अपना शासन चाहते थे पर लूटकर बाहर नहीं ले जाना चाहते थे। मुगलकाल के खत्म होते - होते अंग्रेज़ों ने यहाँ अपने पैर पसारने शुरु किए। पहले - पहल उन्होंने इसे व्यापार के लिए चुना परन्तु उनका उद्देश्य बहुत बाद में समझ में आया। व्यापार करते हुए उन्होंन...

महंगाईः एक समस्या

महंगाईः एक समस्या  महंगाई आज हर किसी के मुख पर चर्चा का विषय बन चुका है। विश्व  का हर देश इस से ग्रसित होता जा रहा है। भारत जैसे विकासशील राष्ट्रों  के लिए तो यह चिंता का विषय बनता जा रहा है। महंगाई ने विशेषकर माध्यम वर्ग की कमर तोड़ दी है। आज पूरे विश्व में यह एक भयंकर समस्या के रूप में स्थापित हो चुका है। हम अपनी आवश्यकताओं को संकुचित करने पर विवश हो गए हैं।  महंगाई ने आम जनता का जीवन अत्यन्त दुष्कर  कर दिया है। आज दैनिक उपभोग की वस्तुएं  हों अथवा रिहायशी वस्तुएँ , हर वस्तु की कीमत दिन-व-दिन बढ़ती और पहुँच  से दूर होती जा रही है। महंगाई के कारण हम अपने दैनिक उपभोग की वस्तुओं में कटौती करने को विवश होते जा रहे हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक जहाँ  साग-सब्जियाँ  कुछ रूपयों में हो जाती थीं, आज उसके लिए लोगों को सैकड़ों रूपये चुकाने पड़ रहे हैं। महंगाई का आलम ये है कि अब लोग बाज़ार जाने के नाम से घबराने लगे हैं।  वेतनभोगियों के लिए तो यह अभिशाप की तरह है। महंगाई की तुलना में वेतन नहीं बढ़ने से वेतन और खर्च में सामंजस्य स्थापित नहीं हो पा रहा...

यदि मैं मुख्यमंत्री होता/होती

यदि मैं मुख्यमंत्री होता/होती वैसे तो मुझे राजनीति बिलकुल पसंद नहीं है लेकिन आज के परिप्रेक्षय में मैं अपने प्रदेश का मुख्यमंत्री बनकर अपने राज्य के लिए बहुत कुछ करना चाहता हूँ। मैं झारखंड जैसे खनन और प्राकृतिक धन-सम्पदा से परिपूर्ण राज्य का निवासी हूँ और ऐसे में अपने प्रदेश को पिछड़ा हुआ देखकर बहुत ही निराश हो जाता हूँ। अतः मैं मुख्यमंत्री बनना चाहता हूँ।   मैं मुख्य मंत्री ही इसलिए बनना चाहता हूँ क्यूंकि मुझे लगता है कि मैं एक योग्य मुख्यमंत्री बनकर इस राज्य के विकास के लिए बहुत कुछ करने में सक्षम हूँ। जैसा कि किसी मुख्यमंत्री पर पूरे राज्य के विकास कि जिम्मेवारी होती है मैं इस जिम्मेवारी को अपने तरीके से निभाना चाहता हूँ। आज हमारे राज्य के मंत्री जनता के पैसे को जनता पर खर्च करने के बजाय अपने विकास पर खर्च कर रहे हैं। अतः मुख्यमंत्री बनने के पश्चात मेरी पहली प्राथमिकता यही होगी कि भ्रष्टाचार को यथासंभव जड़ से मिटाने का प्रयास करूँ। किसी भी प्रदेश का विकास तबतक रेंगने पर विवश रहेगा जबतक भ्रस्ट लोगों पर अंकुश नहीं लगाया जाएगा।   मैं हर सरकारी और गैर सरकारी का...