पराधीन सपनेहूं सुख नाहीं
स्वाधीनता हर मनुष्य का
जन्मसिद्ध अधिकार है। इसको पाने के लिए यदि मनुष्य को लड़ना भी पड़े तो सदैव तत्पर
रहना चाहिए। पराधीनता वो अभिशाप है जो मनुष्य के आचार-व्यवहार
उसके परिवेश, समाज, मातृभूमि और देश को गुलाम बना देते हैं, फिर
चाहे तो कैसी भी गुलामी रही हो। पिंजरे में बंद पक्षी से अधिक आजादी और स्वच्छंदता
का महत्व कौन समझ सकता है ?
भारत ने बहुत लंबे समय से
गुलामी के शाप को सहा है। पहले वो मुगलों के अधीन रहा। उनके द्वारा उसने अनेकों
अत्याचार सहे परन्तु उसकी नींव नहीं हिली। इसका मुख्य कारण था मुगल पहले आए तो लूटमार
के मकसद से थे परन्तु धीरे-धीरे उन्होंने यहाँ रहना स्वीकार कर इस पर राज
किया। यदि शुरु के मुगलकाल को अनदेखा कर दिया जाए तो बाकि मुस्लिम शासकों ने यहाँ
की धन-संपदा का शोषण नहीं किया वो यहाँ अपना शासन चाहते थे पर लूटकर बाहर
नहीं ले जाना चाहते थे। मुगलकाल के खत्म होते-होते
अंग्रेज़ों ने यहाँ अपने पैर पसारने शुरु किए। पहले-पहल
उन्होंने इसे व्यापार के लिए चुना परन्तु उनका उद्देश्य बहुत बाद में समझ में आया।
व्यापार करते हुए उन्होंने पूरे भारत को अपने हाथों में समेटना शुरु कर दिया। उनका
उद्देश्य यहाँ की अतुल धन-संपदा का शोषण कर उसे अपने देश पहुंचाना था।
उन्होंने ऐसा किया भी। भारत का विकास व उन्नति उनका उद्देश्य कभी था ही नहीं।
भारत के लोगों को जब स्थिति
समझ में आई तब तक बात हाथ से निकल चुकी थी। पूरा भारत गुलामी की बेड़ियों में बंध
चुका था। यहाँ के लोग उनके शोषण से पीड़ित होने लगे थे। उन्होंने यहाँ की धन-संपदा,
संस्कृति, धरोहर पर अतुल्य वार किए जिसकी छाप आज भी देखी जा सकती है। हम
भारतीयों को पराधीनता की बेड़ियों से मुक्त होते-होते आधा दशक लग गया। लोगों ने स्वतंत्रता का
मूल्य पहचानना शुरु किया और अंग्रेज़ों द्वारा भयंकर यातनाएँ सही। अनेक देशभक्तों
ने काल कोठरियों में अपना जीवन व्यतीत किया। कई वीरों ने हँसते.हँसते अपने प्राणों
का बलिदान दिया। अतः हमें किसी भी कीमत पर अपनी आजादी को नहीं खोने देना चाहिए।
good information.......thanks for support
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteIt can be improved
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteWhy u delete this comment
Deletehelped a lot thanks =D
ReplyDeletethnx for helping
ReplyDeleteVery clear in explanation
ReplyDeleteIt helps a lot
ReplyDeleteKonsence
ReplyDeleteIt's not good
ReplyDeleteIt's not good
ReplyDeleteRelax
ReplyDeleteRelax
ReplyDeleteThanx everyone
ReplyDeleteLast line me purnviram nahi hain
ReplyDelete