महंगाईः एक समस्या


महंगाईः एक समस्या

 महंगाई आज हर किसी के मुख पर चर्चा का विषय बन चुका है। विश्व  का हर देश इस से ग्रसित होता जा रहा है। भारत जैसे विकासशील राष्ट्रों  के लिए तो यह चिंता का विषय बनता जा रहा है। महंगाई ने विशेषकर माध्यम वर्ग की कमर तोड़ दी है। आज पूरे विश्व में यह एक भयंकर समस्या के रूप में स्थापित हो चुका है। हम अपनी आवश्यकताओं को संकुचित करने पर विवश हो गए हैं।

 महंगाई ने आम जनता का जीवन अत्यन्त दुष्कर  कर दिया है। आज दैनिक उपभोग की वस्तुएं  हों अथवा रिहायशी वस्तुएँ , हर वस्तु की कीमत दिन-व-दिन बढ़ती और पहुँच  से दूर होती जा रही है। महंगाई के कारण हम अपने दैनिक उपभोग की वस्तुओं में कटौती करने को विवश होते जा रहे हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक जहाँ  साग-सब्जियाँ  कुछ रूपयों में हो जाती थीं, आज उसके लिए लोगों को सैकड़ों रूपये चुकाने पड़ रहे हैं। महंगाई का आलम ये है कि अब लोग बाज़ार जाने के नाम से घबराने लगे हैं।

 वेतनभोगियों के लिए तो यह अभिशाप की तरह है। महंगाई की तुलना में वेतन नहीं बढ़ने से वेतन और खर्च में सामंजस्य स्थापित नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सरकार को हस्तक्षेप करके कीमतों पर नियंत्रण रखने के दूरगामी उपाय करना चाहिए। सरकार को महंगाई के उन्मूलन हेतु गहन अध्ययन करना चाहिए और ऐसे उपाय करना चाहिए ताकि महंगाई डायन किसी को न सताए।

 महंगाई के लिए तेजी से बढ़ती जनसंख्या, सरकार द्वारा लगाए जाने वाले अनावश्यक कर तथा माँग की तुलना में आपूर्ति की कमी है। बेहतर बाजार व्यवस्था से कुछ हद तक मुक्ति मिलेगी। पेट्रोलियम  उत्पाद, माल भाड़ा, बिजली आदि जैसी  मूलभूत विषयों पर जब-तब बढ़ोतरी नहीं करना चाहिए। इन में वृद्धि का विपरीत प्रभाव हर वस्तु के मूल्य पर पड़ता है। सरकार की चपलता ही महंगाई को नियंत्रित कर सकती है।

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