प्रातःकाल का भ्रमण

प्रातःकाल का भ्रमण

      प्रातः काल का समय वह समय होता है जब वातावरण अत्यंत स्वच्छ और रमनीय होता है। इस समय वातावरण में ऑक्सीज़न की मात्रा अत्यधिक होती है। अतः प्रातः काल के भ्रमण को अत्यंत लाभकारी माना जाता है। प्रातः काल टहलना किसे पसंद नहीं होता।

      प्रातः काल के भ्रमण को विभिन्न कारणों से उत्तम माना जाता है। चिकित्सकों द्वारा अपने मरीजों और सभी लोगों को परामर्श दिया जाता है कि वे सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रिया से निपटकर अवश्य भ्रमण को निकालें। जब हम स्वच्छ वातावरण में टहलने जाते हैं, तो हमारे शरीर के रूधिर में ऑक्सीज़न की मात्रा में भी वृद्धि होती है। यह हमें विभिन्न रोगों से दूर रहने और ठीक होने में मदद करता है। दमा, मधुमेह और हृदय संबंधी रोगों से बचाव हेतु प्रातः भ्रमण को संजीवनी तथा अमृत के समान माना गया है। इससे हमें दवाओं को खुद से दूर रखने में मदद मिलती है। 40 वर्ष के उम्र से अधिक के लोगों को अनिवार्य रूप से प्रातः भ्रमण की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस उम्र के पश्चात हमारे शरीर की कार्य क्षमता शिथिल पड़ने लगती है, ऐसे में प्रातः भ्रमण और व्यायाम हमारे शरीर के संतुलन को कायम रखने में मददगार होता है। हमारे मन मस्तिष्क में प्रसन्नता का संचार होता है, जिससे हमें दिन भर कार्य करने हेतु अद्भुत ऊर्जा प्राप्त होती है। जो लोग प्रातः देर से उठते हैं अथवा व्यायाम से खुद को दूर रखते हैं वो लोग अधिक बीमार पड़ते हैं और उनके स्वभाव में चिड़चिड़ेपन की प्रधानता पायी जाती है।


      उपरोक्त कारणों से हमें प्रातः भ्रमण को अपने दिनचर्या में अनिवार्य रूप से शामिल करना चाहिए। आज के बच्चे, युवा और महिलाएं अत्यधिक वसायुक्त खाने का प्रयोग करने लगे हैं, इससे पूरे विश्व में मोटापा संबंधी बीमारी आम हो गयी है। यदि हम सुबह जल्दी उठते हैं और 2-5 किमी कम से कम टहलते हैं, तो हमारे शरीर का अतिरिक्त वसा नष्ट हो जाता है। इससे दमा, मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियों से दूर रहने में हम सक्षम हो सकते हैं। इस प्रकार हमें प्रातः काल भ्रमण को अपनाना चाहिए, ये हमारे लिए अत्यंत फलदायी होगा। 

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