MUHAWARE AUR LOKOKTIYAN


मुहावरे और लोकोक्तियाँ


मुहावरा- कोई भी ऐसा वाक्यांश जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को व्यक्त करे उसे मुहावरा कहते हैं।
लोकोक्ति- लोकोक्तियाँ लोक-अनुभव से बनती हैं। किसी समाज ने जो कुछ अपने लंबे अनुभव से सीखा है उसे एक वाक्य में बाँध दिया है। ऐसे वाक्यों को ही लोकोक्ति कहते हैं। इसे कहावत, जनश्रुति आदि भी कहते हैं।


मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर- मुहावरा वाक्यांश है और इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकता। लोकोक्ति संपूर्ण वाक्य है और इसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है। जैसे-‘होश उड़ जानामुहावरा है।बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगीलोकोक्ति है।


कुछ प्रचलित मुहावरे

1. अंग संबंधी मुहावरे


1. अंग छूना - (कसम खाना) मैं अंग छूकर कहता हूँ साहब, मैने पाजेब नहीं देखी।
2.
अंग-अंग मुसकाना-(बहुत प्रसन्न होना)- आज उसका अंग-अंग मुसकरा रहा था।
3.
अंग-अंग टूटना-(सारे बदन में दर्द होना)-इस ज्वर ने तो मेरा अंग-अंग तोड़कर रख दिया।
4.
अंग-अंग ढीला होना-(बहुत थक जाना)- तुम्हारे साथ कल चलूँगा। आज तो मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है।

2. अक्ल-संबंधी मुहावरे


1. अक्ल का दुश्मन-(मूर्ख)- वह तो निरा अक्ल का दुश्मन निकला।
2.
अक्ल चकराना-(कुछ समझ में आना)-प्रश्न-पत्र देखते ही मेरी अक्ल चकरा गई।
3.
अक्ल के पीछे लठ लिए फिरना (समझाने पर भी मानना)- तुम तो सदैव अक्ल के पीछे लठ लिए फिरते हो।
4.
अक्ल के घोड़े दौड़ाना-(तरह-तरह के विचार करना)- बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने अक्ल के घोड़े दौड़ाए, तब कहीं वे अणुबम बना सके।

3. आँख-संबंधी मुहावरे


1. आँख दिखाना-(गुस्से से देखना)- जो हमें आँख दिखाएगा, हम उसकी आँखें फोड़ देगें।
2.
आँखों में गिरना-(सम्मानरहित होना)- कुरसी की होड़ ने जनता सरकार को जनता की आँखों में गिरा दिया।
3.
आँखों में धूल झोंकना-(धोखा देना)- शिवाजी मुगल पहरेदारों की आँखों में धूल झोंककर बंदीगृह से बाहर निकल गए।
4.
आँख चुराना-(छिपना)- आजकल वह मुझसे आँखें चुराता फिरता है।
5.
आँख मारना-(इशारा करना)-गवाह मेरे भाई का मित्र निकला, उसने उसे आँख मारी, अन्यथा वह मेरे विरुद्ध गवाही दे देता।
6.
आँख तरसना-(देखने के लालायित होना)- तुम्हें देखने के लिए तो मेरी आँखें तरस गई।
7.
आँख फेर लेना-(प्रतिकूल होना)- उसने आजकल मेरी ओर से आँखें फेर ली हैं।
8.
आँख बिछाना-(प्रतीक्षा करना)- लोकनायक जयप्रकाश नारायण जिधर जाते थे उधर ही जनता उनके लिए आँखें बिछाए खड़ी होती थी।
9.
आँखें सेंकना-(सुंदर वस्तु को देखते रहना)- आँख सेंकते रहोगे या कुछ करोगे भी
10.
आँखें चार होना-(प्रेम होना,आमना-सामना होना)- आँखें चार होते ही वह खिड़की पर से हट गई।
11.
आँखों का तारा-(अतिप्रिय)-आशीष अपनी माँ की आँखों का तारा है।
12.
आँख उठाना-(देखने का साहस करना)- अब वह कभी भी मेरे सामने आँख नहीं उठा सकेगा।
13.
आँख खुलना-(होश आना)- जब संबंधियों ने उसकी सारी संपत्ति हड़प ली तब उसकी आँखें खुलीं।
14.
आँख लगना-(नींद आना अथवा व्यार होना)- बड़ी मुश्किल से अब उसकी आँख लगी है। आजकल आँख लगते देर नहीं होती।
15.
आँखों पर परदा पड़ना-(लोभ के कारण सचाई दीखना)- जो दूसरों को ठगा करते हैं, उनकी आँखों पर परदा पड़ा हुआ है। इसका फल उन्हें अवश्य मिलेगा।
16.
आँखों का काटा-(अप्रिय व्यक्ति)- अपनी कुप्रवृत्तियों के कारण राजन पिताजी की आँखों का काँटा बन गया।
17.
आँखों में समाना-(दिल में बस जाना)- गिरधर मीरा की आँखों में समा गया।

4. कलेजा-संबंधी कुछ मुहावरे


1. कलेजे पर हाथ रखना-(अपने दिल से पूछना)- अपने कलेजे पर हाथ रखकर कहो कि क्या तुमने पैन नहीं तोड़ा।
2.
कलेजा जलना-(तीव्र असंतोष होना)- उसकी बातें सुनकर मेरा कलेजा जल उठा।
3.
कलेजा ठंडा होना-(संतोष हो जाना)- डाकुओं को पकड़ा हुआ देखकर गाँव वालों का कलेजा ठंढा हो गया।
4.
कलेजा थामना-(जी कड़ा करना)- अपने एकमात्र युवा पुत्र की मृत्यु पर माता-पिता कलेजा थामकर रह गए।
5.
कलेजे पर पत्थर रखना-(दुख में भी धीरज रखना)- उस बेचारे की क्या कहते हों, उसने तो कलेजे पर पत्थर रख लिया है।
6.
कलेजे पर साँप लोटना-(ईर्ष्या से जलना)- श्रीराम के राज्याभिषेक का समाचार सुनकर दासी मंथरा के कलेजे पर साँप लोटने लगा।

5. कान-संबंधी कुछ मुहावरे


1. कान भरना-(चुगली करना)- अपने साथियों के विरुद्ध अध्यापक के कान भरने वाले विद्यार्थी अच्छे नहीं होते।
2.
कान कतरना-(बहुत चतुर होना)- वह तो अभी से बड़े-बड़ों के कान कतरता है।
3.
कान का कच्चा-(सुनते ही किसी बात पर विश्वास करना)- जो मालिक कान के कच्चे होते हैं वे भले कर्मचारियों पर भी विश्वास नहीं करते।
4.
कान पर जूँ तक रेंगना-(कुछ असर होना)-माँ ने गौरव को बहुत समझाया, किन्तु उसके कान पर जूँ तक नहीं रेंगी।
5.
कानोंकान खबर होना-(बिलकुल पता चलना)-सोने के ये बिस्कुट ले जाओ, किसी को कानोंकान खबर हो।

6. नाक-संबंधी कुछ मुहावरे


1. नाक में दम करना-(बहुत तंग करना)- आतंकवादियों ने सरकार की नाक में दम कर रखा है।
2.
नाक रखना-(मान रखना)- सच पूछो तो उसने सच कहकर मेरी नाक रख ली।
3.
नाक रगड़ना-(दीनता दिखाना)-गिरहकट ने सिपाही के सामने खूब नाक रगड़ी, पर उसने उसे छोड़ा नहीं।
4.
नाक पर मक्खी बैठने देना-(अपने पर आँच आने देना)-कितनी ही मुसीबतें उठाई, पर उसने नाक पर मक्खी बैठने दी।
5.
नाक कटना-(प्रतिष्ठा नष्ट होना)- अरे भैया आजकल की औलाद तो खानदान की नाक काटकर रख देती है।

7. मुँह-संबंधी कुछ मुहावरे


1. मुँह की खाना-(हार मानना)-पड़ोसी के घर के मामले में दखल देकर हरद्वारी को मुँह की खानी पड़ी।
2.
मुँह में पानी भर आना-(दिल ललचाना)- लड्डुओं का नाम सुनते ही पंडितजी के मुँह में पानी भर आया।
3.
मुँह खून लगना-(रिश्वत लेने की आदत पड़ जाना)- उसके मुँह खून लगा है, बिना लिए वह काम नहीं करेगा।
4.
मुँह छिपाना-(लज्जित होना)- मुँह छिपाने से काम नहीं बनेगा, कुछ करके भी दिखाओ।
5.
मुँह रखना-(मान रखना)-मैं तुम्हारा मुँह रखने के लिए ही प्रमोद के पास गया था, अन्यथा मुझे क्या आवश्यकता थी।
6.
मुँहतोड़ जवाब देना-(कड़ा उत्तर देना)- श्याम मुँहतोड़ जवाब सुनकर फिर कुछ नहीं बोला।
7.
मुँह पर कालिख पोतना-(कलंक लगाना)-बेटा तुम्हारे कुकर्मों ने मेरे मुँह पर कालिख पोत दी है।
8.
मुँह उतरना-(उदास होना)-आज तुम्हारा मुँह क्यों उतरा हुआ है।
9.
मुँह ताकना-(दूसरे पर आश्रित होना)-अब गेहूँ के लिए हमें अमेरिका का मुँह नहीं ताकना पड़ेगा।
10.
मुँह बंद करना-(चुप कर देना)-आजकल रिश्वत ने बड़े-बड़े अफसरों का मुँह बंद कर रखा है।

8. दाँत-संबंधी मुहावरे


1. दाँत पीसना-(बहुत ज्यादा गुस्सा करना)- भला मुझ पर दाँत क्यों पीसते हो? शीशा तो शंकर ने तोड़ा है।
2.
दाँत खट्टे करना-(बुरी तरह हराना)- भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के दाँत खट्टे कर दिए।
3.
दाँत काटी रोटी-(घनिष्ठता, पक्की मित्रता)- कभी राम और श्याम में दाँत काटी रोटी थी पर आज एक-दूसरे के जानी दुश्मन है।

9. गरदन-संबंधी मुहावरे


1. गरदन झुकाना-(लज्जित होना)- मेरा सामना होते ही उसकी गरदन झुक गई।
2.
गरदन पर सवार होना-(पीछे पड़ना)- मेरी गरदन पर सवार होने से तुम्हारा काम नहीं बनने वाला है।
3.
गरदन पर छुरी फेरना-(अत्याचार करना)-उस बेचारे की गरदन पर छुरी फेरते तुम्हें शरम नहीं आती, भगवान इसके लिए तुम्हें कभी क्षमा नहीं करेंगे।

10. गले-संबंधी मुहावरे


1. गला घोंटना-(अत्याचार करना)- जो सरकार गरीबों का गला घोंटती है वह देर तक नहीं टिक सकती।
2.
गला फँसाना-(बंधन में पड़ना)- दूसरों के मामले में गला फँसाने से कुछ हाथ नहीं आएगा।
3.
गले मढ़ना-(जबरदस्ती किसी को कोई काम सौंपना)- इस बुद्धू को मेरे गले मढ़कर लालाजी ने तो मुझे तंग कर डाला है।
4.
गले का हार-(बहुत प्यारा)- तुम तो उसके गले का हार हो, भला वह तुम्हारे काम को क्यों मना करने लगा।

11. सिर-संबंधी मुहावरे


1. सिर पर भूत सवार होना-(धुन लगाना)-तुम्हारे सिर पर तो हर समय भूत सवार रहता है।
2.
सिर पर मौत खेलना-(मृत्यु समीप होना)- विभीषण ने रावण को संबोधित करते हुए कहा, ‘भैया ! मुझे क्या डरा रहे हो ? तुम्हारे सिर पर तो मौत खेल रही है
3.
सिर पर खून सवार होना-(मरने-मारने को तैयार होना)- अरे, बदमाश की क्या बात करते हो ? उसके सिर पर तो हर समय खून सवार रहता है।
4.
सिर-धड़ की बाजी लगाना-(प्राणों की भी परवाह करना)- भारतीय वीर देश की रक्षा के लिए सिर-धड़ की बाजी लगा देते हैं।
5.
सिर नीचा करना-(लजा जाना)-मुझे देखते ही उसने सिर नीचा कर लिया।

12. हाथ-संबंधी मुहावरे


1. हाथ खाली होना-(रुपया-पैसा होना)- जुआ खेलने के कारण राजा नल का हाथ खाली हो गया था।
2.
हाथ खींचना-(साथ देना)-मुसीबत के समय नकली मित्र हाथ खींच लेते हैं।
3.
हाथ पे हाथ धरकर बैठना-(निकम्मा होना)- उद्यमी कभी भी हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठते हैं, वे तो कुछ करके ही दिखाते हैं।
4.
हाथों के तोते उड़ना-(दुख से हैरान होना)- भाई के निधन का समाचार पाते ही उसके हाथों के तोते उड़ गए।
5.
हाथोंहाथ-(बहुत जल्दी)-यह काम हाथोंहाथ हो जाना चाहिए।
6.
हाथ मलते रह जाना-(पछताना)- जो बिना सोचे-समझे काम शुरू करते है वे अंत में हाथ मलते रह जाते हैं।
7.
हाथ साफ करना-(चुरा लेना)- ओह ! किसी ने मेरी जेब पर हाथ साफ कर दिया।
8.
हाथ-पाँव मारना-(प्रयास करना)- हाथ-पाँव मारने वाला व्यक्ति अंत में अवश्य सफलता प्राप्त करता है।
9.
हाथ डालना-(शुरू करना)- किसी भी काम में हाथ डालने से पूर्व उसके अच्छे या बुरे फल पर विचार कर लेना चाहिए।

13. हवा-संबंधी मुहावरे


1. हवा लगना-(असर पड़ना)-आजकल भारतीयों को भी पश्चिम की हवा लग चुकी है।
2.
हवा से बातें करना-(बहुत तेज दौड़ना)- राणा प्रताप ने ज्यों ही लगाम हिलाई, चेतक हवा से बातें करने लगा।
3.
हवाई किले बनाना-(झूठी कल्पनाएँ करना)- हवाई किले ही बनाते रहोगे या कुछ करोगे भी ?
4.
हवा हो जाना-(गायब हो जाना)- देखते-ही-देखते मेरी साइकिल जाने कहाँ हवा हो गई ?

14. पानी-संबंधी मुहावरे


1. पानी-पानी होना-(लज्जित होना)-ज्योंही सोहन ने माताजी के पर्स में हाथ डाला कि ऊपर से माताजी गई। बस, उन्हें देखते ही वह पानी-पानी हो गया।
2.
पानी में आग लगाना-(शांति भंग कर देना)-तुमने तो सदा पानी में आग लगाने का ही काम किया है।
3.
पानी फेर देना-(निराश कर देना)-उसने तो मेरी आशाओं पर पानी पेर दिया।
4.
पानी भरना-(तुच्छ लगना)-तुमने तो जीवन-भर पानी ही भरा है।

15. कुछ मिले-जुले मुहावरे


1. अँगूठा दिखाना-(देने से साफ इनकार कर देना)-सेठ रामलाल ने धर्मशाला के लिए पाँच हजार रुपए दान देने को कहा था, किन्तु जब मैनेजर उनसे मांगने गया तो उन्होंने अँगूठा दिखा दिया।
2.
अगर-मगर करना-(टालमटोल करना)-अगर-मगर करने से अब काम चलने वाला नहीं है। बंधु !
3.
अंगारे बरसाना-(अत्यंत गुस्से से देखना)-अभिमन्यु वध की सूचना पाते ही अर्जुन के नेत्र अंगारे बरसाने लगे।
4.
आड़े हाथों लेना-(अच्छी तरह काबू करना)-श्रीकृष्ण ने कंस को आड़े हाथों लिया।
5.
आकाश से बातें करना-(बहुत ऊँचा होना)-टी.वी.टावर तो आकाश से बाते करती है।
6.
ईद का चाँद-(बहुत कम दीखना)-मित्र आजकल तो तुम ईद का चाँद हो गए हो, कहाँ रहते हो ?
7.
उँगली पर नचाना-(वश में करना)-आजकल की औरतें अपने पतियों को उँगलियों पर नचाती हैं।
8.
कलई खुलना-(रहस्य प्रकट हो जाना)-उसने तो तुम्हारी कलई खोलकर रख दी।
9.
काम तमाम करना-(मार देना)- रानी लक्ष्मीबाई ने पीछा करने वाले दोनों अंग्रेजों का काम तमाम कर दिया।
10.
कुत्ते की मौत करना-(बुरी तरह से मरना)-राष्ट्रद्रोही सदा कुत्ते की मौत मरते हैं।
11.
कोल्हू का बैल-(निरंतर काम में लगे रहना)-कोल्हू का बैल बनकर भी लोग आज भरपेट भोजन नहीं पा सकते।
12.
खाक छानना-(दर-दर भटकना)-खाक छानने से तो अच्छा है एक जगह जमकर काम करो।
13.
गड़े मुरदे उखाड़ना-(पिछली बातों को याद करना)-गड़े मुरदे उखाड़ने से तो अच्छा है कि अब हम चुप हो जाएँ।
14.
गुलछर्रे उड़ाना-(मौज करना)-आजकल तुम तो दूसरे के माल पर गुलछर्रे उड़ा रहे हो।
15.
घास खोदना-(फुजूल समय बिताना)-सारी उम्र तुमने घास ही खोदी है।
16.
चंपत होना-(भाग जाना)-चोर पुलिस को देखते ही चंपत हो गए।
17.
चौकड़ी भरना-(छलाँगे लगाना)-हिरन चौकड़ी भरते हुए कहीं से कहीं जा पहुँचे।
18.
छक्के छुडा़ना-(बुरी तरह पराजित करना)-पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी के छक्के छुड़ा दिए।
19.
टका-सा जवाब देना-(कोरा उत्तर देना)-आशा थी कि कहीं वह मेरी जीविका का प्रबंध कर देगा, पर उसने तो देखते ही टका-सा जवाब दे दिया।
20.
टोपी उछालना-(अपमानित करना)-मेरी टोपी उछालने से उसे क्या मिलेगा?
21.
तलवे चाटने-(खुशामद करना)-तलवे चाटकर नौकरी करने से तो कहीं डूब मरना अच्छा है।
22.
थाली का बैंगन-(अस्थिर विचार वाला)- जो लोग थाली के बैगन होते हैं, वे किसी के सच्चे मित्र नहीं होते।
23.
दाने-दाने को तरसना-(अत्यंत गरीब होना)-बचपन में मैं दाने-दाने को तरसता फिरा, आज ईश्वर की कृपा है।
24.
दौड़-धूप करना-(कठोर श्रम करना)-आज के युग में दौड़-धूप करने से ही कुछ काम बन पाता है।
25.
धज्जियाँ उड़ाना-(नष्ट-भ्रष्ट करना)-यदि कोई भी राष्ट्र हमारी स्वतंत्रता को हड़पना चाहेगा तो हम उसकी धज्जियाँ उड़ा देंगे।
26.
नमक-मिर्च लगाना-(बढ़ा-चढ़ाकर कहना)-आजकल समाचारपत्र किसी भी बात को इस प्रकार नमक-मिर्च लगाकर लिखते हैं कि जनसाधारण उस पर विश्वास करने लग जाता है।
27.
नौ-दो ग्यारह होना-(भाग जाना)- बिल्ली को देखते ही चूहे नौ-दो ग्यारह हो गए। 28. फूँक-फूँककर कदम रखना-(सोच-समझकर कदम बढ़ाना)-जवानी में फूँक-फूँककर कदम रखना चाहिए।
29.
बाल-बाल बचना-(बड़ी कठिनाई से बचना)-गाड़ी की टक्कर होने पर मेरा मित्र बाल-बाल बच गया।
30.
भाड़ झोंकना-(योंही समय बिताना)-दिल्ली में आकर भी तुमने तीस साल तक भाड़ ही झोंका है।
31.
मक्खियाँ मारना-(निकम्मे रहकर समय बिताना)-यह समय मक्खियाँ मारने का नहीं है, घर का कुछ काम-काज ही कर लो।
32.
माथा ठनकना-(संदेह होना)- सिंह के पंजों के निशान रेत पर देखते ही गीदड़ का माथा ठनक गया।
33.
मिट्टी खराब करना-(बुरा हाल करना)-आजकल के नौजवानों ने बूढ़ों की मिट्टी खराब कर रखी है।
34.
रंग उड़ाना-(घबरा जाना)-काले नाग को देखते ही मेरा रंग उड़ गया।
35.
रफूचक्कर होना-(भाग जाना)-पुलिस को देखते ही बदमाश रफूचक्कर हो गए।
36.
लोहे के चने चबाना-(बहुत कठिनाई से सामना करना)- मुगल सम्राट अकबर को राणाप्रताप के साथ टक्कर लेते समय लोहे के चने चबाने पड़े।
37.
विष उगलना-(बुरा-भला कहना)-दुर्योधन को गांडीव धनुष का अपमान करते देख अर्जुन विष उगलने लगा।
38.
श्रीगणेश करना-(शुरू करना)-आज बृहस्पतिवार है, नए वर्ष की पढाई का श्रीगणेश कर लो।
39.
हजामत बनाना-(ठगना)-ये हिप्पी जाने कितने भारतीयों की हजामत बना चुके हैं।
40.
शैतान के कान कतरना-(बहुत चालाक होना)-तुम तो शैतान के भी कान कतरने वाले हो, बेचारे रामनाथ की तुम्हारे सामने बिसात ही क्या है ?
41.
राई का पहाड़ बनाना-(छोटी-सी बात को बहुत बढ़ा देना)- तनिक-सी बात के लिए तुमने राई का पहाड़ बना दिया।

कुछ प्रचलित लोकोक्तियाँ


1. अधजल गगरी छलकत जाए-(कम गुण वाला व्यक्ति दिखावा बहुत करता है)- श्याम बातें तो ऐसी करता है जैसे हर विषय में मास्टर हो, वास्तव में उसे किसी विषय का भी पूरा ज्ञान नहीं-अधजल गगरी छलकत जाए।
2.
अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत-(समय निकल जाने पर पछताने से क्या लाभ)- सारा साल तुमने पुस्तकें खोलकर नहीं देखीं। अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।
3.
आम के आम गुठलियों के दाम-(दुगुना लाभ)- हिन्दी पढ़ने से एक तो आप नई भाषा सीखकर नौकरी पर पदोन्नति कर सकते हैं, दूसरे हिन्दी के उच्च साहित्य का रसास्वादन कर सकते हैं, इसे कहते हैं-आम के आम गुठलियों के दाम।
4.
ऊँची दुकान फीका पकवान-(केवल ऊपरी दिखावा करना)- कनॉटप्लेस के अनेक स्टोर बड़े प्रसिद्ध है, पर सब घटिया दर्जे का माल बेचते हैं। सच है, ऊँची दुकान फीका पकवान।
5.
घर का भेदी लंका ढाए-(आपसी फूट के कारण भेद खोलना)-कई व्यक्ति पहले कांग्रेस में थे, अब जनता (एस) पार्टी में मिलकर काग्रेंस की बुराई करते हैं। सच है, घर का भेदी लंका ढाए।
6.
जिसकी लाठी उसकी भैंस-(शक्तिशाली की विजय होती है)- अंग्रेजों ने सेना के बल पर बंगाल पर अधिकार कर लिया था-जिसकी लाठी उसकी भैंस।
7.
जल में रहकर मगर से वैर-(किसी के आश्रय में रहकर उससे शत्रुता मोल लेना)- जो भारत में रहकर विदेशों का गुणगान करते हैं, उनके लिए वही कहावत है कि जल में रहकर मगर से वैर।
8.
थोथा चना बाजे घना-(जिसमें सत नहीं होता वह दिखावा करता है)- गजेंद्र ने अभी दसवीं की परीक्षा पास की है, और आलोचना अपने बड़े-बड़े गुरुजनों की करता है। थोथा चना बाजे घना।
9.
दूध का दूध पानी का पानी-(सच और झूठ का ठीक फैसला)- सरपंच ने दूध का दूध,पानी का पानी कर दिखाया, असली दोषी मंगू को ही दंड मिला।
10.
दूर के ढोल सुहावने-(जो चीजें दूर से अच्छी लगती हों)- उनके मसूरी वाले बंगले की बहुत प्रशंसा सुनते थे किन्तु वहाँ दुर्गंध के मारे तंग आकर हमारे मुख से निकल ही गया-दूर के ढोल सुहावने।
11.
रहेगा बाँस, बजेगी बाँसुरी-(कारण के नष्ट होने पर कार्य होना)- सारा दिन लड़के आमों के लिए पत्थर मारते रहते थे। हमने आँगन में से आम का वृक्ष की कटवा दिया। रहेगा बाँस, बजेगी बाँसुरी।
12.
नाच जाने आँगन टेढ़ा-(काम करना नहीं आना और बहाने बनाना)-जब रवींद्र ने कहा कि कोई गीत सुनाइए, तो सुनील बोला, ‘आज समय नहीं है फिर किसी दिन कहा तो कहने लगा, ‘आज मूड नहीं है सच है, नाच जाने आँगन टेढ़ा।
13.
बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले भीख-(माँगे बिना अच्छी वस्तु की प्राप्ति हो जाती है, माँगने पर साधारण भी नहीं मिलती)- अध्यापकों ने माँगों के लिए हड़ताल कर दी, पर उन्हें क्या मिला ? इनसे तो बैक कर्मचारी अच्छे रहे, उनका भत्ता बढ़ा दिया गया। बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले भीख।
14.
मान मान मैं तेरा मेहमान-(जबरदस्ती किसी का मेहमान बनना)-एक अमेरिकन कहने लगा, मैं एक मास आपके पास रहकर आपके रहन-सहन का अध्ययन करूँगा। मैंने मन में कहा, अजब आदमी है, मान मान मैं तेरा मेहमान।
15.
मन चंगा तो कठौती में गंगा-(यदि मन पवित्र है तो घर ही तीर्थ है)-भैया रामेश्वरम जाकर क्या करोगे ? घर पर ही ईशस्तुति करो। मन चंगा तो कठौती में गंगा।
16.
दोनों हाथों में लड्डू-(दोनों ओर लाभ)- महेंद्र को इधर उच्च पद मिल रहा था और उधर अमेरिका से वजीफा उसके तो दोनों हाथों में लड्डू थे।
17.
नया नौ दिन पुराना सौ दिन-(नई वस्तुओं का विश्वास नहीं होता, पुरानी वस्तु टिकाऊ होती है)- अब भारतीय जनता का यह विश्वास है कि इस सरकार से तो पहली सरकार फिर भी अच्छी थी। नया नौ दिन, पुराना नौ दिन।
18.
बगल में छुरी मुँह में राम-राम-(भीतर से शत्रुता और ऊपर से मीठी बातें)- साम्राज्यवादी आज भी कुछ राष्ट्रों को उन्नति की आशा दिलाकर उन्हें अपने अधीन रखना चाहते हैं, परन्तु अब सभी देश समझ गए हैं कि उनकी बगल में छुरी और मुँह में राम-राम है।
19.
लातों के भूत बातों से नहीं मानते-(शरारती समझाने से वश में नहीं आते)- सलीम बड़ा शरारती है, पर उसके अब्बा उसे प्यार से समझाना चाहते हैं। किन्तु वे नहीं जानते कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते।
20.
सहज पके जो मीठा होय-(धीरे-धीरे किए जाने वाला कार्य स्थायी फलदायक होता है)- विनोबा भावे का विचार था कि भूमि सुधार धीरे-धीरे और शांतिपूर्वक लाना चाहिए क्योंकि सहज पके सो मीठा होय।
21.
साँप मरे लाठी टूटे-(हानि भी हो और काम भी बन जाए)- घनश्याम को उसकी दुष्टता का ऐसा मजा चखाओ कि बदनामी भी हो और उसे दंड भी मिल जाए। बस यही समझो कि साँप भी मर जाए और लाठी भी टूटे।
22.
अंत भला सो भला-(जिसका परिणाम अच्छा है, वह सर्वोत्तम है)- श्याम पढ़ने में कमजोर था, लेकिन परीक्षा का समय आते-आते पूरी तैयारी कर ली और परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसी को कहते हैं अंत भला सो भला।
23.
चमड़ी जाए पर दमड़ी जाए-(बहुत कंजूस होना)-महेंद्रपाल अपने बेटे को अच्छे कपड़े तक भी सिलवाकर नहीं देता। उसका तो यही सिद्धान्त है कि चमड़ी जाए पर दमड़ी जाए।
24.
सौ सुनार की एक लुहार की-(निर्बल की सैकड़ों चोटों की सबल एक ही चोट से मुकाबला कर देते है)- कौरवों ने भीम को बहुत तंग किया तो वह कौरवों को गदा से पीटने लगा-सौ सुनार की एक लुहार की।
25.
सावन हरे भादों सूखे-(सदैव एक-सी स्थिति में रहना)- गत चार वर्षों में हमारे वेतन भत्ते में एक सौ रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है। उधर 25 प्रतिशत दाम बढ़ गए हैं-भैया हमारी तो यही स्थिति रही है कि सावन हरे भागों सूखे।




 


अनेकार्थक शब्द


1. अक्षर= नष्ट होने वाला, वर्ण, ईश्वर, शिव।
2.
अर्थ= धन, ऐश्वर्य, प्रयोजन, हेतु।
3.
आराम= बाग, विश्राम, रोग का दूर होना।
4.
कर= हाथ, किरण, टैक्स, हाथी की सूँड़।
5.
काल= समय, मृत्यु, यमराज।
6.
काम= कार्य, पेशा, धंधा, वासना, कामदेव।
7.
गुण= कौशल, शील, रस्सी, स्वभाव, धनुष की डोरी।
8.
घन= बादल, भारी, हथौड़ा, घना।
9.
जलज= कमल, मोती, मछली, चंद्रमा, शंख।
10.
तात= पिता, भाई, बड़ा, पूज्य, प्यारा, मित्र।
11.
दल= समूह, सेना, पत्ता, हिस्सा, पक्ष, भाग, चिड़ी।
12.
नग= पर्वत, वृक्ष, नगीना।
13.
पयोधर= बादल, स्तन, पर्वत, गन्ना।
14.
फल= लाभ, मेवा, नतीजा, भाले की नोक।
15.
बाल= बालक, केश, बाला, दानेयुक्त डंठल।
16.
मधु= शहद, मदिरा, चैत मास, एक दैत्य, वसंत।
17.
राग= प्रेम, लाल रंग, संगीत की ध्वनि।
18.
राशि= समूह, मेष, कर्क, वृश्चिक आदि राशियाँ।
19.
लक्ष्य= निशान, उद्देश्य।
20.
वर्ण= अक्षर, रंग, ब्राह्मण आदि जातियाँ।
21.
सारंग= मोर, सर्प, मेघ, हिरन, पपीहा, राजहंस, हाथी, कोयल, कामदेव, सिंह, धनुष भौंरा, मधुमक्खी, कमल।
22.
सर= अमृत, दूध, पानी, गंगा, मधु, पृथ्वी, तालाब।
23.
क्षेत्र= देह, खेत, तीर्थ, सदाव्रत बाँटने का स्थान।
24.
शिव= भाग्यशाली, महादेव, श्रृगाल, देव, मंगल।
25.
हरि= हाथी, विष्णु, इंद्र, पहाड़, सिंह, घोड़ा, सर्प, वानर, मेढक, यमराज, ब्रह्मा, शिव, कोयल, किरण, हंस।


अनेक शब्दों के लिए एक शब्द


1
जिसे देखकर डर (भय) लगे
डरावना, भयानक
2
जो स्थिर रहे
स्थावर
3
ज्ञान देने वाली
ज्ञानदा
4
भूत-वर्तमान-भविष्य को देखने (जानने) वाले
त्रिकालदर्शी
5
जानने की इच्छा रखने वाला
जिज्ञासु
6
जिसे क्षमा किया जा सके
अक्षम्य
7
पंद्रह दिन में एक बार होने वाला
पाक्षिक
8
अच्छे चरित्र वाला
सच्चरित्र
9
आज्ञा का पालन करने वाला
आज्ञाकारी
10
रोगी की चिकित्सा करने वाला
चिकित्सक
11
सत्य बोलने वाला
सत्यवादी
12
दूसरों पर उपकार करने वाला
उपकारी
13
जिसे कभी बुढ़ापा आये
अजर
14
दया करने वाला
दयालु
15
जिसका आकार हो
निराकार
16
जो आँखों के सामने हो
प्रत्यक्ष
17
जहाँ पहुँचा जा सके
अगम, अगम्य
18
जिसे बहुत कम ज्ञान हो, थोड़ा जानने वाला
अल्पज्ञ
19
मास में एक बार आने वाला
मासिक
20
जिसके कोई संतान हो
निस्संतान
21
जो कभी मरे
अमर
22
जिसका आचरण अच्छा हो
दुराचारी
23
जिसका कोई मूल्य हो
अमूल्य
24
जो वन में घूमता हो
वनचर
25
जो इस लोक से बाहर की बात हो
अलौकिक
26
जो इस लोक की बात हो
लौकिक
27
जिसके नीचे रेखा हो
रेखांकित
28
जिसका संबंध पश्चिम से हो
पाश्चात्य
29
जो स्थिर रहे
स्थावर
30
दुखांत नाटक
त्रासदी
31
जो क्षमा करने के योग्य हो
क्षम्य
32
हिंसा करने वाला
हिंसक
33
हित चाहने वाला
हितैषी
34
हाथ से लिखा हुआ
हस्तलिखित
35
सब कुछ जानने वाला
सर्वज्ञ
36
जो स्वयं पैदा हुआ हो
स्वयंभू
37
जो शरण में आया हो
शरणागत
38
जिसका वर्णन किया जा सके
वर्णनातीत
39
फल-फूल खाने वाला
शाकाहारी
40
जिसकी पत्नी मर गई हो
विधुर
41
जिसका पति मर गया हो
विधवा
42
सौतेली माँ
विमाता
43
व्याकरण जाननेवाला
वैयाकरण
44
रचना करने वाला
रचयिता
45
खून से रँगा हुआ
रक्तरंजित
46
अत्यंत सुन्दर स्त्री
रूपसी
47
कीर्तिमान पुरुष
यशस्वी
48
कम खर्च करने वाला
मितव्ययी
49
मछली की तरह आँखों वाली
मीनाक्षी
50
मयूर की तरह आँखों वाली
मयूराक्षी
51
बच्चों के लिए काम की वस्तु
बालोपयोगी
52
जिसकी बहुत अधिक चर्चा हो
बहुचर्चित
53
जिस स्त्री के कभी संतान हुई हो
वंध्या (बाँझ)
54
फेन से भरा हुआ
फेनिल
55
प्रिय बोलने वाली स्त्री
प्रियंवदा
56
जिसकी उपमा हो
निरुपम
57
जो थोड़ी देर पहले पैदा हुआ हो
नवजात
58
जिसका कोई आधार हो
निराधार
59
नगर में वास करने वाला
नागरिक
60
रात में घूमने वाला
निशाचर
61
ईश्वर पर विश्वास रखने वाला
नास्तिक
62
मांस खाने वाला
निरामिष
63
बिलकुल बरबाद हो गया हो
ध्वस्त
64
जिसकी धर्म में निष्ठा हो
धर्मनिष्ठ
65
देखने योग्य
दर्शनीय
66
बहुत तेज चलने वाला
द्रुतगामी
67
जो किसी पक्ष में हो
तटस्थ
68
तत्त्त्तव को जानने वाला
तत्त्त्तवज्ञ
69
तप करने वाला
तपस्वी
70
जो जन्म से अंधा हो
जन्मांध
71
जिसने इंद्रियों को जीत लिया हो
जितेंद्रिय
72
चिंता में डूबा हुआ
चिंतित
73
जो बहुत समय कर ठहरे
चिरस्थायी
74
जिसकी चार भुजाएँ हों
चतुर्भुज
75
हाथ में चक्र धारण करनेवाला
चक्रपाणि
76
जिससे घृणा की जाए
घृणित
77
जिसे गुप्त रखा जाए
गोपनीय
78
गणित का ज्ञाता
गणितज्ञ
79
आकाश को चूमने वाला
गगनचुंबी
80
जो टुकड़े-टुकड़े हो गया हो
खंडित
818
आकाश में उड़ने वाला
नभचर
82
तेज बुद्धिवाला
कुशाग्रबुद्धि
83
कल्पना से परे हो
कल्पनातीत
84
जो उपकार मानता है
कृतज्ञ
85
किसी की हँसी उड़ाना
उपहास
86
ऊपर कहा हुआ
उपर्युक्त
87
ऊपर लिखा गया
उपरिलिखित
88
जिस पर उपकार किया गया हो
उपकृत
89
इतिहास का ज्ञाता
अतिहासज्ञ
90
आलोचना करने वाला
आलोचक
91
ईश्वर में आस्था रखने वाला
आस्तिक
92
बिना वेतन का
अवैतनिक
93
जो कहा जा सके
अकथनीय
94
जो गिना जा सके
अगणित
95
जिसका कोई शत्रु ही जन्मा हो
अजातशत्रु
96
जिसके समान कोई दूसरा हो
अद्वितीय
97
जो परिचित हो
अपरिचित
98
जिसकी कोई उपमा हो
अनुपम




पर्यायवाची शब्द

किसी शब्द-विशेष के लिए प्रयुक्त समानार्थक शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं।

1.         अमृत- सुधा, सोम, पीयूष, अमिय।
2.        
असुर- राक्षस, दैत्य, दानव, निशाचर।
3.        
अग्नि- आग, अनल, पावक, वह्नि।
4.        
अश्व- घोड़ा, हय, तुरंग, बाजी।
5.        
आकाश- गगन, नभ, आसमान, व्योम, अंबर।
6.        
आँख- नेत्र, दृग, नयन, लोचन।
7.        
इच्छा- आकांक्षा, चाह, अभिलाषा, कामना।
8.        
इंद्र- सुरेश, देवेंद्र, देवराज, पुरंदर।
9.        
ईश्वर- प्रभु, परमेश्वर, भगवान, परमात्मा।
10.      
कमल- जलज, पंकज, सरोज, राजीव, अरविन्द।
11.       
गरमी- ग्रीष्म, ताप, निदाघ, ऊष्मा।
12.      
गृह- घर, निकेतन, भवन, आलय।
13.      
गंगा- सुरसरि, त्रिपथगा, देवनदी, जाह्नवी, भागीरथी।
14.      
चंद्र- चाँद, चंद्रमा, विधु, शशि, राकेश।
15.      
जल- वारि, पानी, नीर, सलिल, तोय।
16.      
नदी- सरिता, तटिनी, तरंगिणी, निर्झरिणी।
17.      
पवन- वायु, समीर, हवा, अनिल।
18.      
पत्नी- भार्या, दारा, अर्धागिनी, वामा।
19.      
पुत्र- बेटा, सुत, तनय, आत्मज।
20.     
पुत्री-बेटी, सुता, तनया, आत्मजा।
21.      
पृथ्वी- धरा, मही, धरती, वसुधा, भूमि, वसुंधरा।
22.      
पर्वत- शैल, नग, भूधर, पहाड़।
23.      
बिजली- चपला, चंचला, दामिनी, सौदामनी।
24.      
मेघ- बादल, जलधर, पयोद, पयोधर, घन।
25.      
राजा- नृप, नृपति, भूपति, नरपति।
26.      
रजनी- रात्रि, निशा, यामिनी, विभावरी।
27.      
सर्प- सांप, अहि, भुजंग, विषधर।
28.     
सागर- समुद्र, उदधि, जलधि, वारिधि।
29.      
सिंह- शेर, वनराज, शार्दूल, मृगराज।
30.     
सूर्य- रवि, दिनकर, सूरज, भास्कर।
31.      
स्त्री- ललना, नारी, कामिनी, रमणी, महिला।
32.      
शिक्षक- गुरु, अध्यापक, आचार्य, उपाध्याय।
33.      
हाथी- कुंजर, गज, द्विप, करी, हस्ती।

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