रेल यात्रा
रेल-यात्रा
‘‘यात्रा’’ शब्द आते ही लोगों के मन में रेल-यात्रा का ही ख्याल आ जाता है। भारत जैसे राष्ट्र में जहां की आबादी 110 करोड़ को लांघ चुकी है वहाँ रेल यात्रा का अत्यन्त महत्व है। वैसे तो यात्रा हेतू लोग हवाई जहाज, बस, कारों और पानी जहाजों का भी प्रयोग करते हैं, परन्तु जो आनन्द रेल-यात्रा का है वो किसी और में कहाँ? रेल यात्रा अन्य यात्राओं से सस्ता और आरामदेह भी तो है!
रेल यात्रा का ख्याल मन में शंकाएँ और उत्साह दोनों उत्पन्न कर देता है। यदि आपने पहले से अपनी सीट आरक्षित कर ली है तो रेल-यात्रा का ख्याल और यात्रा खुशनुमा बन जाता है, लेकिन यदि सामान्य डिब्बों में लम्बी यात्रा की बात हो तो एकबारगी मन सिहर उठता है। मन में ये ख्याल आने लगते हैं कि पता नहीं बैठने के लिए सीट मिलेगी या नहीं? लोगों में सामान्य कोटि एवं डिब्बों से यात्रा करने के दौरान तय समय से पूर्व स्टेशन पहुँचने की आपाधापी रहती है। वे चाहते हैं कि पहले पहुँचकर सीट प्राप्त करने का प्रयास करें। जब हम स्टेशन जाते हैं तो ऐसे अनेक लोग मिल जाएंगे, जो सामान्य टिकट अथवा वेटिंग टिकटों को टिकट कलेक्टर द्वारा आरक्षित करने के प्रयास में लगे दिखाई देंगे।
खैर, जैसे-तैसे यदि यात्रा शुरू हो भी गई तो आरक्षित डिब्बों में हम आसानी से पूरे डिब्बे में चहलकदमी कर सकते हैं। आरक्षित डिब्बों का माहौल बहुत अच्छा रहता है। इसके विपरीत सामान्य श्रेणी के डिब्बों में लोग जैसे-तैसे सफर करने को मजबूर हो जाते हैं। चार आदमी के बैठने के सीट पर 6-7 आदमी मजबूरन बैठ जाते हैं। अवैध हॉकरो का शोर तो आम बात है। भिखारियों का आना, शीतल पेय बेचने वाले, खाद्य सामग्रियों को बेचने वालों के शोर से पूरा डिब्बा गुलजार रहता है। बीच-बीच में लोगों के चिल्लाने, बच्चों में रोने की बातें तो हर यात्रा में मिल जाएंगी । इन सब से अलग उच्च श्रेणी के डिब्बों में खाने-पीने का भी प्रबंध रहता है। लेकिन भारत जैसे विकासशील देषों मे ज्यादातर लोग सामान्य श्रेणी में ही सफर करने को मजबूर हैं। इसका एक अन्य कारण रेल भाड़ा अन्य श्रेणियों से कम होना भी है।
मुझे रेल यात्रा पसंद है, लेकिन स्लीपर क्लास की । इससे कम से कम सीट के लिए मारामारी का ख्याल तो मन में नहीं आता। जब मैं अपने परिवार के साथ सफर करता हूँ तो खिड़की में बैठकर खिड़की से बाहर के प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेते हुए जाना बहुत आनंदित कर देता है। साथ में यदि कुछ खाने का सामान हो तो क्या कहना, पूरी यात्रा यादगार बन जाती है। छोटी यात्राओं में मुझे पैसेंजर रेलगाड़ी में सफर करना पसंद है। अतः यह कहना अत्योशक्ति न होगा कि रेलयात्रा सर्वाधिक रोचक यात्राओं में गिनी जा सकती है।
nice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteGood but can do better.
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ReplyDeletelook i get it that u prefer sleeper class to local trains.... but there are ppl out here who need essays on"rail ke anarakshith dibbe
ReplyDeletemein yatra"
Nice
ReplyDeleteMerit rail yatra
ReplyDeleteMerit rail yatra
ReplyDeleteShekhar
ReplyDeleteIt was good
ReplyDeleteNot good
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteOsm
ReplyDeleteI like it. It remembers me my first rail journey...😆
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